बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 गृहविज्ञान
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पोषक तत्व के स्रोत एवं इनकी कमी से होने वाले रोग
(Sources of Nutrients and It's Deficiency Diseases)
प्रश्न- प्रोटीन की संरचना, संगठन बताइए तथा प्रोटीन का वर्गीकरण व उसका पाचन, अवशोषण व चयापचय का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
सम्बन्धित लघु प्रश्न
1. प्रोटीन की रासायनिक संरचना व संगठन लिखिए।
2. प्रोटीन प्राप्ति के स्रोत बताइए।
3. प्रोटीन का वर्गीकरण दीजिए।
4. प्रोटीन के कार्य बताइए।
5. प्रोटीन के साधन तथा इसकी दैनिक आवश्यकता भी लिखिए।
उत्तर-
'प्रोटीन' शब्द ग्रीक भाषा के 'प्रोटीओ' से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'पहले आने वाला। यह शब्द 1838 में एक प्रसिद्ध रसायनज्ञ मुल्डर ने प्रस्तावित किया। उनका विश्वास था कि यह तत्व जीवन के लिए सबसे आवश्यक तत्व है। इसके बिना जीवन सम्भव नहीं है।
प्रोटीन की रासायनिक संरचना व संगठन
प्रोटीन की संरचना कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन व सल्फर आदि से होती है। कुछ प्रोटीन आयरन व आयोडीन आदि भी रखते हैं। कुछ प्रोटीन के अणुओं में फास्फोरस की उपस्थिति होती है। प्रोटीन में नाइट्रोजन की उपस्थिति प्रोटीन को कार्बोहाइड्रेट व वसा से अलग रखती है। प्रोटीन के अणुओं का आकार बड़ा होता है तथा इसका निर्माण कई सरल इकाई पदार्थों, जिन्हें अमीनो एसिड कहते हैं, के मिलने से होता है। प्रोटीन में नाइट्रोजन की मात्रा 13 से 20% तक होती है।
अमीनो अम्ल प्रोटीन की इकाई अमीनो अम्ल कहलाती है। प्रत्येक प्रोटीन में एक कार्बोक्सिलिक समूह (COOH) या अम्लीय समूह तथा दूसरा अमीनो समूह (NH2) या क्षारीय समूह होता है। ये दोनों समूह कार्बन के परमाणु से जुड़े रहते हैं। अन्य अणु की उपस्थिति विभिन्न अमीनो एसिड में विभिन्नता लाती है।
कुछ अमीनो अम्ल अन्य अमीनो अम्ल की अपेक्षा अधिक उपयोगी होते हैं। उपयोगिता के आधार पर अमीनो अम्ल का निम्नलिखित वर्गीकरण किया जा सकता है-
1. आवश्यक अमीनो अम्ल (Essential Amino Acid),
2. अनावश्यक अमीनो अम्ल (Non-essential Amino Acid) |
आवश्यक अमीनो अम्ल निम्नवत् हैं -
हिस्टीडीन (Histidine), आइसोल्यूसीन ( Iso leucine), ल्यूसीन (Leucine), लायसिन (Lysine), मिथियोनिन (Methionine), फिनाइलएलेनिन(Threonine), ट्रिप्टोफेन (Tryptophan), वेलीन (Valine)।(Phenylanine),
अन्य अमीनो अम्ल को अनावश्यक अमीनो अम्ल की संज्ञा दी जाती है जोकि निम्नलिखित हैं-
एलेनाइन (Alanine), एस्पार्टिक अम्ल (Aspartic Acid),
सिस्टीन (Cysteine), ग्लूटेनिक अम्ल (Glutanic Acid), ग्लाइसिन (Glycine), सेरीन (Serine), ट्राईसीन (Trysine), हाइड्राक्सी ग्लूटैनिक अम्ल (Hydroxy Glutanic Acid), थाइरॉक्सीन (Thyroxin)।
अनावश्यक अमीनो अम्लों को शरीर में संश्लेषित किया जा सकता है।
प्रोटीन प्राप्ति के साधन
प्रोटीन जन्तु तथा वनस्पति दोनों साधनों से प्राप्त होता है। प्रोटीन का निर्माण प्रारम्भिक रूप से वनस्पति में ही होता है। वनस्पति, भूमि से नाइट्रोजन, जल, हवा आदि लेकर प्रोटीन का निर्माण करती है तथा अपने बीजों में संग्रह करती है। जन्तु इस वनस्पति प्रोटीन का उपयोग कर इसे अपने शरीर के अनुरूप बना लेते हैं। मनुष्य जन्तु तथा वनस्पति दोनों माध्यम से प्रोटीन का उपयोग करता है। जन्तु प्रोटीन हमारे शरीर की प्रोटीन से अधिक समान होती है, अतः जन्तु प्रोटीन अधिक उपयोगी होती है, जैसे- माँस, मछली, अण्डा, पक्षी, दूध, पनीर, खोया आदि।
प्रोटीन का वर्गीकरण
स्रोत के आधार पर प्रोटीन को दो भागों में बाँटा गया है-
जन्तु जगत से प्राप्त प्रोटीन - जैसे अण्डे, दूध, मांस, मछली का प्रोटीन।
इस प्रकार की प्रोटीन उत्तम प्रोटीन है तथा शारीरिक वृद्धि तथा भरण-पोषण के लिए सहायक है।
वनस्पति जगत से प्राप्त प्रोटीन - इस प्रकार की प्रोटीन, अनाज, दालों, मेवे, फल, सब्जी इत्यादि से प्राप्त होता है। इस प्रकार से प्राप्त प्रोटीन में सभी आवश्यक अमीनो अम्ल नहीं पाए जाते हैं। इस प्रकार की प्रोटीन से वृद्धि तो सम्भव है पर विकास नहीं।
शरीर में पोषक महत्व के आधार पर वर्गीकरण
1. पूर्ण प्रोटीन (Complete Protein) यदि भोजन में प्रोटीन की शरीर के लिए आवश्यक सभी अमीनो अम्ल की ठीक मात्रा उपस्थित होती है तो ऐसी प्रोटीन को पूर्ण प्रोटीन कहते हैं।
2. आंशिक रूप से पूर्ण प्रोटीन (Partially Complete Protein) यदि प्रोटीन में आवश्यक अमीनो अम्ल की संख्या व मात्रा कम होती है तो ऐसी प्रोटीन को आंशिक रूप से पूर्ण प्रोटीन कहते हैं।
3. अपूर्ण प्रोटीन (Incomplete Protein) - इस प्रकार की प्रोटीन में कोई आवश्यक अमीनो अम्ल उपस्थित नहीं होता है। अतः यह प्रोटीन किसी भी ढंग से सहायक नहीं होती है। यह प्रोटीन न तो शरीर की वृद्धि, टूट-फूट की मरम्मत कर पाती है और न ही शरीर की सुरक्षा कर पाती है।
क्र.सं. | प्रोटीन के बग | आवश्यक अमीनो अम्ल की हीनता |
1. | पूर्ण प्रोटीन जैसे - अण्डा, दूध, माँस आदि की प्रोटीन। | |
2. | शरीर में पूर्ण सहायक | |
3. | आंशिक रूप से पूर्ण प्रोटीन, जैसे गेहूँ आदि की प्रोटीन। | लायसिन व थ्रियोनिन। |
4. | वृद्धि में पूर्ण सहायक नहीं। | |
5. | अपूर्ण प्रोटीन जैसे जिलेटिन व जीव शरीर के लिए बिल्कुल सहायक नहीं। | आवश्यक अमीनो एसिड बिल्कुल नहीं होते हैं। |
रासायनिक संगठन के आधार पर प्रोटीन को तीन भागों में बाँटा जा सकता है-
1. साधारण प्रोटीन (Simple Protein) - इस प्रोटीन का निर्माण केवल अमीनो अम्ल द्वारा होता है तथा ये प्रोटीन जल अपघटन (Hydrolysis) के पश्चात् सिर्फ एमीनो अम्ल में विभक्त होते हैं।
2. संयुग्मी प्रोटीन (Conjugated Protein) संयुग्मी प्रोटीन में अमीनो अम्ल के अतिरिक्त दूसरे पदार्थ की भी उपस्थिति होती है, जैसे
(i) न्यूक्लियोप्रोटीन इसमें प्रोटीन के साथ न्यूक्लिक अम्ल की उपस्थिति रहती है।
(ii) ग्लाइकोप्रोटीन प्रोटीन के साथ कार्बोहाइडेंट उपस्थित होता है जैसे भूसिन।
(iii) फास्फोप्रोटीन इसमें प्रोटीन के साथ फास्फोरस की उपस्थिति होती है, जैसे दूध की फेसीनोजेन, अण्डे की ओथेबाइटेलिथ।
(iv) हीमोग्लोबिन- प्रोटीन के साथ लोहे की उपस्थिति होती है।
(v) लाइपोप्रोटीन प्रोटीन के साथ-साथ वसा की उपस्थिति रहती है।
3. व्युत्पन्न प्रोटीन (Derived Protein) प्रोटीन पर एन्जाइम की क्रिया से अथवा जलीय विश्लेषण से विच्छेदन होकर जिस प्रोटीन का निर्माण होता है वह व्युत्पन्न प्रोटीन कहलाता है, जैसे
(i) प्राथमिक व्युत्पन्न प्रोटीन इस प्रकार की प्रोटीन में क्रिया के पश्चात् कुछ कम अन्तर आता है, जैसे अम्ल, क्षार, ताप व हवा की क्रिया से प्रोटीन में परिवर्तन।
(ii) द्वितीयात्मक व्युत्पन्न प्रोटीन - विभिन्न पाचक एन्जाइम की क्रिया से परिवर्तन के बाद जो प्रोटीन बनती है उसे द्वितीयात्मक व्युत्पन्न प्रोटीन कहते हैं।
प्रोटीन के गुण
कुछ प्रकार की प्रोटीन जल में घुलनशील होती है, जैसे दूध की केसीन, अण्डे की एल्ब्यूमिन, रक्त की प्लाज्मा, कुछ प्रकार की प्रोटीन पानी में घुलनशील नहीं होती है, जैसे विभिन्न वनस्पति प्रोटीन, माँस की प्रोटीन आदि।
शरीर में प्रोटीन के कार्य
1. शरीर का निर्माण करना प्रोटीन का प्रमुख कार्य शरीर का निर्माण करना है। मात्रा की दृष्टि से पानी के बाद प्रोटीन की उपस्थिति शरीर में सबसे अधिक होती है। शरीर के सभी अंग जैसे बाल, नाखून, त्वचा, ग्रंथियों, अस्थियों व माँसपेशियों आदि में प्रोटीन उपस्थित रहती है।
2. शरीर में टूट-फूट के पुनर्निर्माण के लिए प्रोटीन नए ऊतकों के निर्माण के अतिरिक्त शरीर में टूट-फूट के पुनर्निर्माण के लिए भी आवश्यक होती है। शरीर में निरन्तर क्रियाशील रहने के कारण टूट- फूट होती रहती है।
3. फाइब्रिनोज का निर्माण करना : रक्त में एक अन्य प्रोटीन जिसे फाइब्रिनोज (Fibrinogae) कहते हैं, पायी जाती है जो चोट के समय होने वाले रक्त प्रवाह को रोकने का कार्य करती है। रक्त प्रवाह के समय फाइब्रिनोज चोट के स्थान पर धागों का एक गुच्छा बना देती है जो रक्त प्रवाह के आगे नहीं बढ़ने देता।
प्रोटीन का पाचन, तथा अवशोषण
पाचन (Digestion) सभी प्रोटीन का आँत्र नली द्वारा शोषित होकर शरीर के विभिन्न भागों में पहुँचने के लिए न्यूनतम इकाइयों अमीनो अम्ल में विभाजित होना आवश्यक है। प्रोटीन का पाचन प्रोटीन के विभाजन में सहायक विशेष प्रोटीन एन्जाइम प्रोटीओजेज द्वारा आँत्र नली में पूरा होता है।
क्षेत्र 70% क्षेत्र में प्रोटीन में डाइपैप्टाइड्स तथा ट्राइपैप्टाइड्स या जटिल अम्लीय अम्ल पाए जाते हैं। आँत्र रस में दो एन्जाइम्स कार्बोक्सीपेप्टोडेज जो कार्बोक्सिल समूह से अगले जोड़ों पर अभिक्रिया कर अमीनो अम्ल मुक्त करते हैं केवल दो अमीनो अम्ल डाइपेप्टाइड के रूप में जुड़े रहते हैं।
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- प्रश्न- पारम्परिक गृह विज्ञान और वर्तमान युग में इसकी प्रासंगिकता एवं भारतीय गृह वैज्ञानिकों के द्वारा दिये गये योगदान की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- NIPCCD के बारे में आप क्या जानते हैं? इसके प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद' (I.C.M.R.) के विषय में विस्तृत रूप से बताइए।
- प्रश्न- केन्द्रीय आहार तकनीकी अनुसंधान परिषद (CFTRI) के विषय पर विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- NIPCCD से आप समझते हैं? संक्षेप में बताइये।
- प्रश्न- केन्द्रीय खाद्य प्रौद्योगिक अनुसंधान संस्थान के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कोशिका किसे कहते हैं? इसकी संरचना का सचित्र वर्णन कीजिए तथा जीवित कोशिकाओं के लक्षण, गुण, एवं कार्य भी बताइए।
- प्रश्न- कोशिकाओं के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्लाज्मा झिल्ली की रचना, स्वभाव, जीवात्जनन एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- माइटोकॉण्ड्रिया कोशिका का 'पावर हाउस' कहलाता है। इस कथन की पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्रक के विभिन्न घटकों के नाम बताइये। प्रत्येक के कार्य का भी वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्रक का महत्व समझाइये।
- प्रश्न- पाचन तन्त्र का सचित्र विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पाचन क्रिया में सहायक अंगों का वर्णन कीजिए तथा भोजन का अवशोषण किस प्रकार होता है?
- प्रश्न- पाचन तंत्र में पाए जाने वाले मुख्य पाचक रसों का संक्षिप्त परिचय दीजिए तथा पाचन क्रिया में इनकी भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आमाशय में पाचन क्रिया, छोटी आँत में भोजन का पाचन, पित्त रस तथा अग्न्याशयिक रस और आँत रस की क्रियाविधि बताइए।
- प्रश्न- लार ग्रन्थियों के बारे में बताइए तथा ये किस-किस नाम से जानी जाती हैं?
- प्रश्न- पित्ताशय के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- आँत रस की क्रियाविधि किस प्रकार होती है।
- प्रश्न- श्वसन क्रिया से आप क्या समझती हैं? श्वसन तन्त्र के अंग कौन-कौन से होते हैं तथा इसकी क्रियाविधि और महत्व भी बताइए।
- प्रश्न- श्वासोच्छ्वास क्या है? इसकी क्रियाविधि समझाइये। श्वसन प्रतिवर्ती क्रिया का संचालन कैसे होता है?
- प्रश्न- फेफड़ों की धारिता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बाह्य श्वसन तथा अन्तःश्वसन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मानव शरीर के लिए ऑक्सीजन का महत्व बताइए।
- प्रश्न- श्वास लेने तथा श्वसन में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- हृदय की संरचना एवं कार्य का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रक्त परिसंचरण शरीर में किस प्रकार होता है? उसकी उपयोगिता बताइए।
- प्रश्न- हृदय के स्नायु को शुद्ध रक्त कैसे मिलता है तथा यकृताभिसरण कैसे होता है?
- प्रश्न- धमनी तथा शिरा से आप क्या समझते हैं? धमनी तथा शिरा की रचना और कार्यों की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- लसिका से आप क्या समझते हैं? लसिका के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रक्त का जमना एक जटिल रासायनिक क्रिया है।' व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रक्तचाप पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हृदय का नामांकित चित्र बनाइए।
- प्रश्न- किसी भी व्यक्ति को किसी भी व्यक्ति का रक्त क्यों नहीं चढ़ाया जा सकता?
- प्रश्न- लाल रक्त कणिकाओं तथा श्वेत रक्त कणिकाओं में अन्तर बताइए?
- प्रश्न- आहार से आप क्या समझते हैं? आहार व पोषण विज्ञान का अन्य विज्ञानों से सम्बन्ध बताइए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए। (i) चयापचय (ii) उपचारार्थ आहार।
- प्रश्न- "पोषण एवं स्वास्थ्य का आपस में पारस्परिक सम्बन्ध है।' इस कथन की पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- अभिशोषण तथा चयापचय को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- शरीर पोषण में जल का अन्य पोषक तत्वों से कम महत्व नहीं है। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भोजन की परिभाषा देते हुए इसके कार्य तथा वर्गीकरण बताइए।
- प्रश्न- भोजन के कार्यों की विस्तृत विवेचना करते हुए एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- आमाशय में पाचन के चरण लिखिए।
- प्रश्न- मैक्रो एवं माइक्रो पोषण से आप क्या समझते हो तथा इनकी प्राप्ति स्रोत एवं कमी के प्रभाव क्या-क्या होते हैं?
- प्रश्न- आधारीय भोज्य समूहों की भोजन में क्या उपयोगिता है? सात वर्गीय भोज्य समूहों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- “दूध सभी के लिए सम्पूर्ण आहार है।" समझाइए।
- प्रश्न- आहार में फलों व सब्जियों का महत्व बताइए। (क) मसाले (ख) तृण धान्य।
- प्रश्न- अण्डे की संरचना लिखिए।
- प्रश्न- पाचन, अभिशोषण व चयापचय में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आहार में दाल की उपयोगिता बताइए।
- प्रश्न- दूध में कौन से तत्व उपस्थित नहीं होते?
- प्रश्न- सोयाबीन का पौष्टिक मूल्य व आहार में इसका महत्व क्या है?
- प्रश्न- फलों से प्राप्त पौष्टिक तत्व व आहार में फलों का महत्व बताइए।
- प्रश्न- प्रोटीन की संरचना, संगठन बताइए तथा प्रोटीन का वर्गीकरण व उसका पाचन, अवशोषण व चयापचय का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रोटीन के कार्यों, साधनों एवं उसकी कमी से होने वाले रोगों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'शरीर निर्माणक' पौष्टिक तत्व कौन-कौन से हैं? इनके प्राप्ति के स्रोत क्या हैं?
- प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट का वर्गीकरण कीजिए एवं उनके कार्य बताइये।
- प्रश्न- रेशे युक्त आहार से आप क्या समझते हैं? इसके स्रोत व कार्य बताइये।
- प्रश्न- वसा का अर्थ बताइए तथा उसका वर्गीकरण समझाइए।
- प्रश्न- वसा की दैनिक आवश्यकता बताइए तथा इसकी कमी तथा अधिकता से होने वाली हानियों को बताइए।
- प्रश्न- विटामिन से क्या अभिप्राय है? विटामिन का सामान्य वर्गीकरण देते हुए प्रत्येक का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वसा में घुलनशील विटामिन क्या होते हैं? आहार में विटामिन 'ए' कार्य, स्रोत तथा कमी से होने वाले रोगों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- खनिज तत्व क्या होते हैं? विभिन्न प्रकार के आवश्यक खनिज तत्वों के कार्यों तथा प्रभावों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शरीर में लौह लवण की उपस्थिति, स्रोत, दैनिक आवश्यकता, कार्य, न्यूनता के प्रभाव तथा इसके अवशोषण एवं चयापचय का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रोटीन की आवश्यकता को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- क्वाशियोरकर कुपोषण के लक्षण बताइए।
- प्रश्न- भारतवासियों के भोजन में प्रोटीन की कमी के कारणों को संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- प्रोटीन हीनता के कारण बताइए।
- प्रश्न- क्वाशियोरकर तथा मेरेस्मस के लक्षण बताइए।
- प्रश्न- प्रोटीन के कार्यों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भोजन में अनाज के साथ दाल को सम्मिलित करने से प्रोटीन का पोषक मूल्य बढ़ जाता है।-कारण बताइये।
- प्रश्न- शरीर में प्रोटीन की आवश्यकता और कार्य लिखिए।
- प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट्स के स्रोत बताइये।
- प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट्स का वर्गीकरण कीजिए (केवल चार्ट द्वारा)।
- प्रश्न- यौगिक लिपिड के बारे में अतिसंक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- आवश्यक वसीय अम्लों के बारे में बताइए।
- प्रश्न- किन्हीं दो वसा में घुलनशील विटामिन्स के रासायनिक नाम बताइये।
- प्रश्न बेरी-बेरी रोग का कारण, लक्षण एवं उपचार बताइये।
- प्रश्न- विटामिन (K) के के कार्य एवं प्राप्ति के साधन बताइये।
- प्रश्न- विटामिन K की कमी से होने वाले रोगों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एनीमिया के प्रकारों को बताइए।
- प्रश्न- आयोडीन के बारे में अति संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- आयोडीन के कार्य अति संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- आयोडीन की कमी से होने वाला रोग घेंघा के बारे में बताइए।
- प्रश्न- खनिज क्या होते हैं? मेजर तत्व और ट्रेस खनिज तत्व में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- लौह तत्व के कोई चार स्रोत बताइये।
- प्रश्न- कैल्शियम के कोई दो अच्छे स्रोत बताइये।
- प्रश्न- भोजन पकाना क्यों आवश्यक है? भोजन पकाने की विभिन्न विधियों का वर्णन करिए।
- प्रश्न- भोजन पकाने की विभिन्न विधियाँ पौष्टिक तत्वों की मात्रा को किस प्रकार प्रभावित करती हैं? विस्तार से बताइए।
- प्रश्न- “भाप द्वारा पकाया भोजन सबसे उत्तम होता है।" इस कथन की पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- भोजन विषाक्तता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भूनना व बेकिंग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- खाद्य पदार्थों में मिलावट किन कारणों से की जाती है? मिलावट किस प्रकार की जाती है?
- प्रश्न- मानव विकास को परिभाषित करते हुए इसकी उपयोगिता स्पष्ट करो।
- प्रश्न- मानव विकास के अध्ययन के महत्व की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- वंशानुक्रम से आप क्या समझते है। वंशानुक्रम का मानवं विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है?
- प्रश्न . वातावरण से क्या तात्पर्य है? विभिन्न प्रकार के वातावरण का मानव विकास पर पड़ने वाले प्रभावों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न . विकास एवं वृद्धि से आप क्या समझते हैं? विकास में होने वाले प्रमुख परिवर्तन कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- विकास के प्रमुख नियमों के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि एवं विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास के अध्ययन की परिभाषा तथा आवश्यकता बताइये।
- प्रश्न- पूर्व-बाल्यावस्था में बालकों के शारीरिक विकास से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- पूर्व-बाल्या अवस्था में क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- मानव विकास को समझने में शिक्षा की भूमिका बताओ।
- प्रश्न- बाल मनोविज्ञान एवं मानव विकास में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- वृद्धि एवं विकास में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- गर्भकालीन विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-सी हैं? समझाइए।
- प्रश्न- गर्भकालीन विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन से है। विस्तार में समझाइए |
- प्रश्न- गर्भाधान तथा निषेचन की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए भ्रूण विकास की प्रमुख अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।.
- प्रश्न- गर्भावस्था के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रसव कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- विकासात्मक अवस्थाओं से क्या आशर्य है? हरलॉक द्वारा दी गयी विकासात्मक अवस्थाओं की सूची बना कर उन्हें समझाइए।
- प्रश्न- "गर्भकालीन टॉक्सीमिया" को समझाइए।
- प्रश्न- विभिन्न प्रसव प्रक्रियाएँ कौन-सी हैं? किसी एक का वर्णन कीएिज।
- प्रश्न- आर. एच. तत्व को समझाइये।
- प्रश्न- विकासोचित कार्य का अर्थ बताइये। संक्षिप्त में 0-2 वर्ष के बच्चों के विकासोचित कार्य के बारे में बताइये।
- प्रश्न- नवजात शिशु की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो।
- प्रश्न- नवजात शिशु की पूर्व अन्तर्क्रिया और संवेदी अनुक्रियाओं का वर्णन कीजिए। वह अपने वाह्य वातावरण से अनुकूलन कैसे स्थापित करता है? समझाइए।
- प्रश्न- क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते है? क्रियात्मक विकास का महत्व बताइये |
- प्रश्न- शैशवावस्था तथा स्कूल पूर्व बालकों के शारीरिक एवं क्रियात्मक विकास से आपक्या समझते हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्था एवं स्कूल पूर्व बालकों के सामाजिक विकास से आप क्यसमझते हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्थ एवं स्कूल पूर्व बालकों के संवेगात्मक विकास के सन्दर्भ में अध्ययन प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- शैशवावस्था क्या है?
- प्रश्न- शैशवावस्था में संवेगात्मक विकास क्या है?
- प्रश्न- शैशवावस्था की विशेषताएं क्या हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्था में शिशु की शिक्षा के स्वरूप पर टिप्पणी लिखो।
- प्रश्न- शिशुकाल में शारीरिक विकास किस प्रकार होता है।
- प्रश्न- शैशवावस्था में मानसिक विकास कैसे होता है?
- प्रश्न- शैशवावस्था में गत्यात्मक विकास क्या है?
- प्रश्न- 1-2 वर्ष के बालकों के संज्ञानात्मक विकास के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- बालक के भाषा विकास पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- संवेग क्या है? बालकों के संवेगों का महत्व बताइये।
- प्रश्न- बालकों के संवेगों की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- बालकों के संवेगात्मक व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं समझाइये |
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से आप क्या समझते है। पियाजे के संज्ञानात्मक विकासात्मक सिद्धान्त को समझाइये।
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दो से छ: वर्ष के बच्चों का शारीरिक व माँसपेशियों का विकास किस प्रकार होता है? समझाइये।
- प्रश्न- व्यक्तित्व विकास से आपका क्या तात्पर्य है? बच्चे के व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारकों को समझाइए।
- प्रश्न- भाषा पूर्व अभिव्यक्ति के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है?
- प्रश्न- बाल्यावस्था की विशेषताएं बताइयें।
- प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में खेलों के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में बच्चे अपने क्रोध का प्रदर्शन किस प्रकार करते हैं?